दो हजार वर्ष पहले एक ग्रीक डॉक्टर हिपोक्रेट ने डॉक्टरों के लिये मरीज की सेवा हेतु नियम तैयार किये थे। आधुनिक डॉक्टरों की पढ़ाई का पहला पाठ ’’हिपोक्रेट ऑथ’’ का अध्ययन होता है। जिसे आजीवन निभाने का विद्यार्थी प्रण लेता है। प्रण का एकमात्र अर्थ है मरीज बीमार की सेवा डॉक्टर का एकमात्र और सर्वोच्च धर्म है। मेडिकल डिग्री की पढ़ाई खत्म करते-करते ही डॉक्टर उस ऑथ-प्रण को भूलने के लिये आज विवश हो गया है। यद्यपि आज भी बीमार के लिये डॉक्टर भगवान का ही अवतार है। डॉक्टरों के इस टूटते प्रण पर जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय के ग्रेग ब्लॉच जो डॉक्टर भी हैं और कानून के प्रोफेसर भी है, इस पर अपनी पुस्तक ’’हिपोक्रेट ऑथ’’ में प्रकाश डाला है। 21वीं सदी के डॉक्टरी व्यवसाय पर इतना दबाव बढ़ गया है कि ’’हिपोक्रेट ऑथ’’ का सेवा का अर्थ संदर्भहीन हो गया है। कठिन प्रतिस्पर्धा के बाद कॉलेज में प्रवेश, लाखों रूपयों का पढ़ाई का खर्च, प्रेक्टिस के दौरान कानूनी कठिनाइयां, फार्मा कम्पनियों के नये आविष्कार और उनके लुभावने लालच डॉक्टर की राह को बीमार की सेवा से दूर ले जाते है।
ग्रेग कहते है कि दवा डॉक्टर के हाथ में एक हथियार बन गया है जिसका उपभोग समाज का हर कौना अपने सीमित स्वार्थ के लिये करता है। नई आविष्कृत एक दवाई के पीछे फार्मा कम्पनियों के स्टॉक के भाव जमीन या आसमान छू लेते हैं। वर्षों बाद मालूम होता है कि उस नई दवाई से कितने लोग मारे गये या साईड इफेक्ट में अपंग हो गये। डॉक्टर की गलती से उसका लाईसेंस रद्द होना अमेरिका में आम बात है। भारत में भी अदालत के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं। दवा कम्पनियों के लोभ पर विजय बहुत कम डॉक्टर कर पाते है। पुरानी सफल दवाईयों की जगह नई और महंगी दवाऐं मरीज को देने के लिये डॉक्टरों को खुलेआम तोहफे उपहार दिये जाते है।
डॉक्टर ग्रेग का परम ध्येय डॉक्टर के बीच ललकार चेतावनी जैसा है कि डॉक्टर का परम ध्येय आज भी समाज और बीमार के प्रति सद्भावना और उसके स्वास्थ्य का है। इस ध्येय से मुड़ने पर डॉक्टरी के व्यवसाय और बीमार दोनों को भारी मूल्य चुकाना होगा। डॉक्टरी आज भी समाज के सबसे प्रतिष्ठित व्यवसायों में है। यह प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिये डॉक्टर को समाज, अर्थशास्त्र और राजनीति के सभी स्वार्थों से बीमार की रक्षा के लिये संघर्ष करना होगा। वर्तमान में पूरा डॉक्टर समाज इन कठिनाईयों पर सफेद चादर ढ़कने का यत्न करता है। डॉक्टर का एकमात्र और परम धर्म बीमार का संरक्षण हैं यह उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। राजनीति, काूनन और आधुनिक लाभ प्राथमिक नहीं, गौण है।
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